
मोदी सरकार द्वारा मनरेगा को खत्म कर उसकी जगह ग्रामजी (विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एवं आजीविका मिशन ग्रामीण) कानून को रद्द करने, मनरेगा की पुनर्बहाली, ग्रामीण गरीबों के रोजगार अधिकार की रक्षा तथा बुलडोजर कार्रवाई पर तत्काल रोक की मांग को लेकर खेग्रामस के बैनर तले पूरे बिहार में राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया.
राजधानी पटना में स्टेशन गोलंबर के पास जोरदार प्रदर्शन हुआ, जिसमें खेग्रामस के महासचिव धीरेंद्र झा, अध्यक्ष सत्यदेव राम, विधान परिषद सदस्य (MLC) शशि यादव, पूर्व विधायक गोपाल रविदास, शत्रुघ्न साहनी, वंदना प्रभा, अकलू पासवान, जितेंद्र कुमार, केडी यादव, उमेश सिंह, आर एन ठाकुर, सत्यनारायण प्रसाद, नागेश्वर पासवान, मुर्तजा अली, प्रमोद यादव सहित बड़ी संख्या में मजदूर, किसान, ग्रामीण गरीब और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए.
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मनरेगा देश का सबसे बड़ा ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून रहा है, जिसने करोड़ों गरीब परिवारों को न्यूनतम रोजगार और आजीविका की सुरक्षा दी, लेकिन मोदी सरकार की नीतियों के कारण यह कानून पहले ही कई राज्यों में लगभग निष्क्रिय कर दिया गया था. अब ग्रामजी जैसे नए कानून के जरिए मनरेगा को पूरी तरह खत्म करने की कोशिश की गई है, जो मजदूरों के अधिकारों पर सीधा हमला है.
खेग्रामस नेताओं ने कहा कि ग्रामजी कानून में रोजगार की कोई वास्तविक गारंटी नहीं है. काम के दिनों को 100 से 125 करने का दावा केवल दिखावा है, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि मजदूरों को साल में 40–50 दिन भी काम नहीं मिल रहा. कृषि मौसम में काम रोकने, मजदूरी का बोझ राज्यों पर डालने, पंचायती राज संस्थाओं को कमजोर करने और न्यूनतम मजदूरी की गारंटी खत्म करने से यह कानून ग्रामीण गरीबों को और असुरक्षित बना देगा.
प्रदर्शन में यह भी मांग उठाई गई कि गरीबों और मजदूरों पर चल रहे बुलडोजर एक्शन को तुरंत रोका जाए, क्योंकि यह संविधान, कानून और मानवाधिकारों के खिलाफ है।ल.
वक्ताओं ने कहा कि सरकार विकास के नाम पर गरीबों को उजाड़ रही है और उनके रोजगार व आवास दोनों पर हमला कर रही है.
खेग्रामस ने केंद्र सरकार से मांग की कि
मनरेगा की तत्काल पुनर्बहाली की जाए और इसे मजबूत किया जाए,
ग्रामजी कानून को बिना किसी देरी के रद्द किया जाए,
मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी और समय पर भुगतान की गारंटी दी जाए,
बुलडोजर कार्रवाई पर तुरंत रोक लगाई जाए.
अंत में खेग्रामस ने मजदूरों, किसानों और ग्रामीण गरीबों से आह्वान किया कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट हों और मनरेगा व श्रम अधिकारों पर हो रहे हमलों के खिलाफ व्यापक आंदोलन को मजबूत करें.
